DR. KANTI KUMAR JAIN

जन्म: 9 सितम्बर, 1932 में, देवरीकलां, सागर (म.प्र.)।
शिक्षा: बैकुंठपुर (कोरिया) से 1948 में मैट्रिक करने के बाद उच्च शिक्षा सागर विश्वविद्यालय में। मैट्रिक में हिन्दी में विशेष योग्यता के लिए कोरिया दरबार स्वर्णपदक। विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाओं में प्रथम श्रेणी, प्रथम स्थान, स्वर्णपदक।
1956 से मध्यप्रदेश के अनेक महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य। 1978 से 1992 तक डॉ. हरीसिंह गौर वि.वि. में माखनलाल चतुर्वेदी पीठ पर हिन्दी के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष। अब सेवानिवृत्त।
प्रकाशित कृतियाँ: छत्तीसगढ़ की जनपदीय शब्दावली पर शोधकार्य। छत्तीसगढ़ी: बोली, व्याकरण कोश, नई कविता, भारतेन्दु पूर्व हिन्दी गद्य, कबीरदास, इक्कीसवीं शताब्दी की हिन्दी, छायावाद की पहाड़ी और मैदानी शैलियाँ कुछ चर्चित पुस्तकें हैं।
बुन्देलखंड की लोक संस्कृति की सम्पादित पत्रिका ‘ईसुरी’ को अन्तर्राष्ट्रीय कीर्ति। मुक्तिबोध और परसाई के मित्र। फिलहाल संस्मरण लिखने में व्यस्त। लौटकर आना नहीं होगा (2002) संस्मरणों की पहली ही पुस्तक से संस्मरणों की चर्चा। 2004 में तुम्हारा परसाई, 2006 में जो कहूँगा सच कहूँगा के बाद 2007 में अब तो बात फैल गई, बैकुंठपुर में बचपन। प्रकाश्य: पप्पू खवास का कुनबा, महागुरु मुक्तिबोध: जुम्मा टैंक की सीढ़ियों पर।
सम्पर्क: विद्यापुरम्, मकरोनिया कैम्प, सागर-470004