Details
उत्तर भारत से उद्भूत होकर वैष्णव भक्ति धारा किन-किन परिस्थितियों से गुजरती हुई दक्षिण भारत में, विशेषकर तमिल प्रदेश में प्रतिष्ठित हुई; प्राचीन तमिल समाज ने उसे किस रूप में अपनाया, और बाद में आलवार भक्तों तक पहुंचकर उसका कौन-सा रूप बना; तदनन्तर श्रीसंप्रदाय प्रभृति विभिन्न संप्रदायों ने उसे कौन-सा रूप प्रदान किया; तथा दक्षिण से प्रत्यावर्तित होकर इस भक्ति-धारा ने पुनः उत्तर भारत में, विशेषकर वृन्दावन में पहुंचकर बल्लभ, निम्बार्क, राधाबल्लभ, हरिदासी तथा चैतन्य संप्रदायों के माध्यम से किस प्रका स्वरूप ग्रहण किया- यह ग्रथ इन प्रश्नो का समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास है। तमिल भाषा में रचित वैष्णव भक्ति साहित्य, प्रकारान्तर से कृष्ण भक्ति साहित्य के निर्माता थे बारह भक्ति-प्रवण आलवार कवि। उनकी रचनाओं तथा उपर्युक्त ब्रजमंडलीय पंच संप्रदायों से संबद्ध हिन्दी के कृष्ण भक्त कवियों के भाव-विहल काव्य के तुलनात्मक अध्ययन के द्वारा ‘‘उत्पन्ना द्राविडे साऽहम्...’’ तथा ‘‘भक्ति द्राविड ऊपजी, लाये रामानन्द’’-इन उक्तियों के तात्पर्य को समझने का प्रयास ही यह ग्रंथ है।
Additional Information
No Additional Information Available
About the writer
DR. P. JAYARAMAN

Books by DR. P. JAYARAMAN
- BHAKTI KE AAYAAM
- SANTVANI (5VOL SET)
- SANT VANI-3 NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- SANT VANI-4 NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- A COURSE AN HINDI
- SANT VANI-1 : NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- SANT VANI-2 : NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- SANT VANI-5 NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- SANT VANI-6 NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- SANT VANI-7 NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- SANT VANI-8 NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- SANT VANI-9 : NALAYIRA DIVYA PRABANDHAM
- SRI CHINMOY KAVYA
- Sant Vani-10 : Nalayira Divya Prabandham
- Sant Vani-11 : Nalayira Divya Prabandham
- A Brief History of Vaishnava Saint Poets : The Alwars
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.