Details
आधुनिक कहानी: अरबिस्तान ...फिर असली मँगनी का दिन आया, गश्बानियत का। बैठकों के साथ ईरानी डिजशइन वाला एक बड़ा तम्बू बाहर बाग तक लगाया गया था। उसके भीतर आदमियों, शादीशुदा औरतों और लड़कियों के बैठने की अलग-अलग जगहें बनायी गयी थीं। क्योंकि शादीशुदा औरतों की बातें, अक्सर बहुत अश्लील, जवान लड़कियों के सुनने लायक नहीं थीं। उधर यूरोप में विश्वयुद्ध और मध्य यूरोपीय ताकष्तों की आक्रामकता के लिए बत्तियाँ जलाकर कोई निशाना पेश न करने की जश्रूरत के बावजूद समारोह भव्य था। ऐसे मौकषें पर जवान लड़कियों की ख़ूबसूरती या बदसूरती को तोला जाता था और साथ ही उनके पिताओं का, समाज में रुतबा और दौलत। मेहमानों का दजर्श, खाना-पीना, डांसरों को दी गयी फीस और जोकरों की चर्चा एक लम्बे समय तक चलती रहती थी। गश्बानियत के बाद मैडम मार्कोस को हकष् था कि वह अपने मँगेतर के साथ घूमे-फिरे, अपनी पसन्द का फर्ष्नीचर, फषनूस और बर्तन लाये। मगर एक भाई का साथ होना जरुरी था।
Additional Information
No Additional Information Available
About the writer
AMRIT MEHTA

Books by AMRIT MEHTA
- KHUDARAM AUR CHAND HASINON KE KHUTOOT
- AADHUNIK KAHANI:SWITZERLAND
- MERI BADI KITAB
- VIENNA SHAHAR KE KISSE
- AADHUNIK KAHANI : SLOVAKIYA
- AADHUNIK KAHANI : ROOS
- AADHUNIK KAHANI : GERMANY
- AADHUNIK KAHANI : ARBISTAN
- BRATISLAVA KI PARAYEE BETIYAN
- VIENNA SHAHAR KE KISSE
- Aadhunik Kahani: Austria
- AADHUNIK KAHANI:SWITZERLAND
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.