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इस पुस्तक को जो बात सबसे अनूठी और विशिष्ट बनाती है वह यह है कि इसमें प्राचीन से लेकर अब तक के अनेक उत्कृष्ट विश्व कवियों की कविताओं के अनुवाद स्वयं आज के श्रेष्ठ हिन्दी कवि द्वारा किये गये हैं। इस संकलन का एक और विशिष्ट पक्ष विभिन्न कवियों पर सारगर्भित बातें और अनुवाद-सम्बन्धी टिप्पणियाँ भी हैं। कुँवर नारायण के लिए ‘अनुवाद का मतलब कविता की भाषाई पोशाक को बदलना भर नहीं रहा है बल्कि उसके उस अन्तरंग तक पहुँचना रहा है जो उसे कविता बनाता है।’ उन्होंने अनुवाद की अवधारणा को अनुरचना की हद तक विस्तृत किया है और अनुवाद-कर्म को अपनी रचनात्मकता की तरह ही महत्त्व दिया है।
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KUNWAR NARAYAN

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