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गाँधी विचार और साहित्य
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गाँधीजी के गद्य को देखने से सहज ही अनुभव होता है कि उनका गद्य सहज और बोधगम्य है। वाक्य बड़े और क्लिष्ट नहीं हैं। भाषा सीखने के लिए ऐसे ही गद्य की आवश्यकता है। गाँधीजी ने अपने गद्य में यथार्थ और बीभत्स दृश्यों का भी वर्णन किया है, क्योंकि उनके पास जो मूल तत्त्व था, वह था सत्य। सत्य कहीं भी हो, उसका उसी रूप में चित्रण उस व्यक्तित्व और लेखन का लक्ष्य था।
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SUMAN JAIN

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