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बीते दो दशकों में राजनीति पूरी तरह बदल गयी है। इन बदलावों में सबसे बड़ा है राष्ट्रीय राजनीति की जगह राज्यों की राजनीति की प्रधानता । इस बदलाव का ही परिणाम है कि राष्ट्रीय राजनीति का मतलब राज्यों का कुल योगफल ही है । आज गठबंधन सच्चाई है और विविधता भरे भारतीय समाज और लोकतंत्र से इसका बहुत अच्छा मेल हो गया है । राजनीति में बदलाव लाने वाले तीन मुद्दों -मंडल, मंदिर और उदारीकरण - ने इसमें भूमिका निभाई है । हर राज्य में इस राजनीति, खासकर चुनावी मुकाबले का स्वरूप तय करने में इन तीनों का असर अलग-अलग रूप में और अलग स्तर पर हुआ है । इसी के चलते कहीं एक दल या गठबंधन का प्रभुत्व है तो कहीं दो-ध्रुवीय, तीन-ध्रुवीय या बहु-ध्रुवीय मुकाबले शुरू हुए हैं । विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सी.एस.डी.एस.) अपने लोकनीति कार्यक्रम के जरिए चुनावी राजनीति और लोकतंत्र के अध्ययन का काम करता आया है । आम लोगों और अकादमिक जगत में इसके अध्ययनों और सर्वेक्षणों का काफी सम्मान है । प्रस्तुत पुस्तक चुनावी सर्वेक्षणों और अध्ययनों के राज्यवार संयोजकों, विशेषज्ञों और जानकार लोगों के आलेखों का संग्रह है जिसमें सी.एस.डी.एस. के अध्ययनों के आधार राज्य के सामाजिक, आर्थिक और विभिन्न समूहों की चुनावी पसन्द से लेकर मुद्दों, नेताओं और पार्टियों के बदलावों को देखने-दिखाने की कोशिश की गयी है । राज्यों की राजनीति पर केन्द्रित और देश के हर राज्य से सम्बन्धित ऐसा अध्ययन और ऐसी पुस्तक अभी सम्भवत: किसी भाषा में नहीं है । पुस्तक पूरे देश, हर राज्य के बदलावों, प्रवृत्तियों को बताने के साथ ही लोकतंत्र और भारत के लिए इनके प्रभावों और अर्थों को समझने-समझाने का काम भी करती है ।
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ED. ARVIND MOHAN

Books by ED. ARVIND MOHAN
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