Details
घटना सन् 1854 की है। तब अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन पियर्स ने अमरीका के मूल निवासी रैड इंडियन्स से बची-खुची भूमि का हिस्सा खरीदने का प्रस्ताव उनके मुखिया शिएटल के सम्मुख रखा। इस प्रस्ताव से आहत होकर मुखिया ने जो पत्र लिखा उसके कुछ अंश-”आकाश को धरती की गरमाहट को आप कैसे खरीद या बेच सकते हैं? हमारे लिए तो यह विचार ही बड़ा विचित्र है जब हवाओं की ताज़गी और पानी की चमक के स्वामी हम नहीं तो आप भला उसे हमसे खरीदेंगे कैसे?“...”हम इसी भूमि का एक हिस्सा हैं और ये हमारा ही एक अंग। ये सुगन्धमय पुष्प हमारी बहनें हैं और हिरन, घोड़े और विशालकाय बाज हमारे भाई। चट्टानी शिखर, बुग्यालों में बहती जलधाराएँ टापू के जिस्म की गर्माहट और आदमी, इन सभी का सम्बन्ध एक ही परिवार से है।“
Additional Information
No Additional Information Available
About the writer
HARI MOHAN

Books by HARI MOHAN
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.