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शिक्षा मनोविज्ञान का वास्तविक अर्थ समझने के लिए शिक्षा एवं मनोविज्ञान को अलग-अलग जानना आवश्यक है। मनोविज्ञान के क्रियात्मक पक्ष को शिक्षा में प्रयोग करना, शैक्षिक जगत के विकास की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। रूसो, हर्वाट, फ्रोबेल इत्यादि कई विद्वानों ने शिक्षा मनोविज्ञान के क्रियात्मक स्वरूप की विस्तृत रूपरेखा तैयार कर विकास-प्रक्रिया में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन किया। सन् 1880 में मनोविज्ञान की एक नयी शाखा, शिक्षा मनोविज्ञान की स्थापना हुई, जिसमें शैक्षिक परिस्थितियों में स्थित मानव के व्यवहार का विस्तृत अध्ययन किया जाता है, क्योंकि शिक्षा एवं मनोविज्ञान एक-दूसरे के परिपूरक हैं। अतः दोनों शब्दों की विस्तृत व्याख्या करना आवश्यक है।
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G.S. ASWAAL

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