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सुन्दर एवं स्वस्थ शिशु की कामना हर माता-पिता की होती है। परन्तु ऐसा हो नहीं पाता क्योंकि शिशु वयस्कों की अपेक्षा जल्दी-जल्दी बीमार हो जाते हैं। इसका कारण शिशुओं की स्नायुओं की स्नायु शक्ति सुनियंत्रित और सुगठित नहीं होती, साथ में उनको वातावरण भी आसानी से प्रभावित कर देता है। इसलिए शिशुओं की चिकित्सा वयस्कों की चिकित्सा से पृथक और कठिन है। इन्हीं कारणों से शिशु एवं बालकों की होमियोपैथिक चिकित्सा का अपना अलग स्थान और महत्त्व है। इस बात से सभी सहमत होंगे कि शिशुओं की चिकित्सा के लिए होमियोपैथिक चिकित्सा प्रणाली के सिवाय अन्य कोई सुविधाजनक उपचार नहीं है।
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DR. M.B.L. SAXENA

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