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अग्रलेख
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दुनिया के राजनीतिक नक्शे में पश्चिम एशिया का संकट हो या अमेरिका की परमाणु नीति, भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की घुसपैठ हो या मानव अधिकारों का हनन, औद्योगिक विकास में पर्यावरण का संकट हो या पश्चिमी मीडिया के आगमन की आहट, महामारियों का आतंक हो या यक-ब-यक कहर बरपाती प्राकृतिक विपदाएँ, देश के विभिन्न हिस्सों से उठती हुई अलगाववाद की आवाज़ें हों या सांप्रदायिक उन्माद-'अग्रलेख' के लेखों में आज के हालात और वस्तु स्थितियों का ब्यौरेवार विश्लेषण है और है इन हालात में जनता और सरकारों के नैतिक कर्तव्य व ज़िम्मेदारियों की ओर विवेकपूर्ण संकेत।
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GHANSHYAM PANKAJ

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