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आज विश्व में, ख़ासकर तीसरी दुनिया में, एक व्यापक मीडिया साक्षरता अभियान चलाने की सख़्त ज़रूरत है। इस अभियान में ऑडियंस को मीडिया के सन्देशों की बारीकी से पड़ताल करने, उन्हें आलोचनात्मक दृष्टि से ग्रहण करने और सचेत दर्शक-पाठक-श्रोताओं की तरह प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। उन्हें इस बात के लिए भी तैयार किया जाना चाहिए कि वे मीडिया के उन सन्देशों के विरुद्ध उचित मंचों पर शिकायत भी करें जिन्हें वे व्यापक जनहित में नहीं देखते हैं। यह तभी सम्भव है जब मीडिया को गम्भीरता से देखने और उस पर लिखने वाले लोग सामने आयें। ऐसे मीडिया आलोचकों की आज बहुत ज़रूरत है जो ऑडियंस को मीडिया के एक सतर्क और सतेज उपभोक्ता और नागरिक के सरोकारों से लैस कर सकें।
Additional Information
प्रांजल धर एक ऐसे युवा मीडिया क्रिटिक हैं जिन्होंने मीडिया और पत्राकारिता की शिक्षा लेने के बाद इस क्षेत्र में कदम रखा है और मीडिया साक्षरता के काम को आगे बढ़ा रहे हैं। इन्होंने ‘नया ज्ञानोदय’ जैसी अनेक महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में लगातार मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर गहराई और व्यापक परिप्रेक्ष्य के साथ लिखा है। जिस प्रौढ़ता के साथ इन्होंने लिखा है, वह सराहनीय है। इनके मीडिया सम्बन्धी लेखन की एक ख़ास बात यह भी है कि ये सिर्फ समाचार मीडिया पर ही नहीं बल्कि मनोरंजन माध्यमों पर भी समान अधिकार से लिखते हैं। उम्मीद है कि इस पुस्तक का सुधी पाठक स्वागत करेंगे। यह पुस्तक न सिर्फ मीडिया के विद्यार्थियों, अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए उपयोगी है बल्कि इसका फ़ायदा वे आम दर्शक-पाठक-श्रोता भी उठा सकते हैं जो मीडिया को और गहराई से समझना चाहते हैं। प्रांजल धर से भविष्य में भी मीडिया के अन्य पहुलओं पर ऐसी ही और पुस्तकों की अपेक्षा बनी रहेगी।
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PRANJAL DHAR

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