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प्रत्येक इतिहासज्ञ को बहुत-से विदेशियों के नाम अपनी लिपि में लिखने पड़ते हैं। आज जब हमने गणित के इतिहास पर अपनी लेखनी उठायी है तो स्वभावतः इसके अन्तर्गत बहुत-से अंग्रेज, फ्रांसीसी और जर्मन गणितज्ञों के नामों का उल्लेख करना होगा। इस सम्बन्ध में तुरन्त यह प्रश्न उठ खड़ा होता है कि यदि किसी विदेशी का नाम हमारे देश में प्रचलित हो गया तो लेखकों को उसे उसी रूप में लिखने की छूट देनी चाहिए जिसमें वह प्रचलित हो चुका है, चाहे वह रूप ठीक हो चाहे गलत। फ्रेंच गणितज्ञ क्म डवपअतम का वास्तविक उच्चारण दः म्वाव्रे है, परन्तु अंग्रेजी में अधिकतर लोग इसे ‘डी मॉयवर’ पढ़ते हैं। पिछले डेढ़ सौ वर्षों में हमारा घनिष्ठ सम्बन्ध अंग्रेजी से ही रहा है, अतः भारतवर्ष में भी यह नाम ‘डी मॉयवर’ रूप में ही प्रचलित रूपों में लिखते रहना चाहिए।
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KRISHAN MOHAN

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