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अवधी ग्रन्थावली के लगभग चार हजार पृष्ठों में समग्र अवधी साहित्य की पड़ताल है यानी हिन्दी की आधारभूत बोली अवधी के संरक्षण-संवर्द्धन का अनूठा और प्रथम प्रयास है । अवध के क्षेत्र-विस्तार की अवधारणा समय-समय पर परिवर्तित होती रही है । ब्रिटिश शासनकाल में 'यूनाइटेड प्रोविन्सेज़ ऑफ़ आगरा एंड अवध' और स्वतंत्र भारत में 'संयुक्त प्रान्त' के नवीन नाम 'उत्तर प्रदेश' के अंग-रूप में अवध-क्षेत्र में चौदह जिले आते हैं, फैज़ाबाद, अम्बेडकर नगर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली, लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव, खीरी, लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई, गोंडा और बहराइच । इस प्रकार अवध-क्षेत्र पूर्व में बनारस से ले कर पश्चिम में बरेली तक और उत्तर में नेपाल के सीमा-क्षेत्र से दक्षिण में इलाहाबाद तक फैला हुआ है।
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JAGDISH PIYUSH

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