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...प्रोफेसर गोपीचन्द नारंग ने केवल श्प्रिंगर संग्रह की प्रति से प्राप्त पहेलियों को ही इस पुस्तक में एकत्र नहीं किया वरन् उन्होंने अपनी पुस्तक में भूमिका लिखकर अमीर खुसरो तथा उनके काव्य के संबंध में प्रचलित भ्रांतियों का निराकरण भी किया है ंएक सौ ग्यारह पृष्ठ के इस सारगर्भित भूमिका को पढ़कर पाठक को अमीर खुसरो की रचना-प्रक्रिया तथा रचित साहित्य की पूरी जानकारी हासिल हो जाता है। मैं प्रोफेसर नारंग के इस काव्य को स्तरीय शोध कार्य मानता हूं और मेरा विश्वास है कि भविष्य में हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखकों को इस गं्रथ से खड़ी बोली का स्वरूप निर्धारण करने में सहायता मिलेगी।
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GOPI CHAND NARANG

Books by GOPI CHAND NARANG
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