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समकालीन स्रोत सामग्री का अध्ययन, विवेचन, मूल्यांकन इतिहास के सही तथ्यों के समझने के आधार हैं। मध्यकालीन भारतीय इतिहास (1200-1707) के अध्ययन के लिए हमें मुख्यतया समकालीन ग्रन्थों, फ़रमानों, अभिलेखों, चित्रों, पुरातात्त्विक अवशेषों, सिक्कों का विवेचनात्मक अध्ययन करना पड़ता है। इनमें प्रमुख आधार समकालीन ग्रन्थ हैं। इस काल की राजसी भाषा फारसी थी। इस कारण अधिकतर ऐतिहासिक ग्रन्थ इसी भाषा में लिखे गये। इसमें अतिरिक्त क्षेत्रीय भाषाओं-राजस्थानी, बंगला, गुजराती, मराठी, व आसाम के अहोम शासकों के काल के बुरन्जीस, तमिल, तेलुगु, उड़िया तथा संस्कृत में लिखे गये ग्रन्थ, यात्रियों द्वारा अरबी तथा योरोपीय भाषाओं में लिखे गये संस्मरण, समकालीन भक्ति तथा सूफ़ी साहित्य अत्यन्त उपयोगी है।
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Dr. Harishankar Srivastava

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