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भारत में ज्यामिति का आरम्भ शुल्व सूत्रों से हुआ। इन सूत्रों में यज्ञ वेदियाँ बनाने की विधियाँ दी जाती थीं। इस देश में प्राचीन समय में यज्ञ दो प्रकार के हुआ करते थे-नित्य अथवा विवशक, और काम्य अथवा ऐच्छिक। नित्य यज्ञ प्रत्येक हिन्दू को करने ही पड़ते थे। उनका न करना पाप समझा जाता था। काम्य यज्ञ किसी विशेष हेतु से किये जाते थे। पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ किया जाता था। इसी प्रकार रोगों से बचने के लिए अथवा व्यापारिक सफलता के लिए विशेष प्रकार के यज्ञ करने होते थे। इनका करना न करना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर था।
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BRIJ MOHAN

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