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लोकोपयोगी विज्ञान विश्वकोश पुस्तकमाला का यह पुष्प, ‘चिकित्सा प्रशिक्षण का सहज पाठ’ आपके हाथों में है। इसे मुख्यतया उपचारिका अथवा परिचारिका प्रशिक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया गया है। उपचार विज्ञान में नर्स या उपचारिका की भूमिका 19वीं सदी के मध्य में फ़्लोरंेस नाइटिंग नाम की एक लोकोपकारी अंग्रेज महिला ने निर्धारित की थी। क्रीमिया युद्ध के हताहतों को, एक हाथ में चिमनी लेकर और दूसरे हाथ से उनके जख़्म धो-पोंछ और पट्टी बाँधकर जो मातृसुलभ वात्सल्य और मित्रवत् स्नेह उसने किया उसी से उसका नाम ‘लेडी विद दि लैम्प’ की उपाधि से सुशोभित हुआ और चिकित्सा विज्ञानियों को उपचार विज्ञान में नर्स की भूमिका का अहसास भी हुआ। उसी घटना के बाद यह माना गया कि रोगों के उपचार में दवाओं और आपरेशनों की जितनी भूमिका होती है, उपचारिका की सहृदयतापूर्ण देखभाल की उससे कम नहीं होती। चूंकि रोगियों की देखभाल करते, हर परिस्थिति में, एक उपचारिका को सच्चे स्नेह, नम्रता और धैर्य की कसौटी पर खरा उतरना होता है, इसलिए मानना होगा कि किसी अस्पताल में उपचारिका का महत्त्व डॉक्टर तय करते हैं।
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VISHVMITRA SHARMA

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