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‘चाँद’ का प्रकाशन 1922 ई. में इलाहाबाद से हुआ था और इसके आयोजक-प्रकाशक एक उत्साही राष्ट्रप्रेमी रामरिख सहगल थे। इसके सम्पादन में समय-समय पर सत्यभक्त आदि अपने समय के कई प्रखर और गतिशील व्यक्तियों ने योगदान किया था और ‘चाँद’ के कई ऐसे विशेषांक निकले थे, जिन्होंने अपने समय-सन्दर्भों को प्रभावित किया था। लेकिन ‘फाँसी अंक’ ने जो इतिहास बनाया, वह अपने आप में बेजोड़ है। इसे प्रकाशित होते ही ज़ब्त कर लिया गया था, और जिस किसी के पास उसकी एक प्रति भी पायी जाये, उसे इसी आरोप में जेल की हवा खानी पड़ सकती थी।
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