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सन् 42 की क्रान्ति एक घटना मात्र नहीं, वह भारत के युग-युगों की राजनैतिक चेतना एवं असन्तोष का एक विस्फोटमय अभिव्यक्तीकरण था। सन् 42 ने भारत में नवीन ऐतिहासिक परम्पराओं को जाग्रत किया और कांग्रेस की वामपक्षीय प्रवृत्तियों को पुनर्जीवित किया, कांग्रेस समाजवादी दल ने इस क्रान्ति में योग दिया है, वह भारत की क्रान्ति के इतिहास में अभूतपूर्व है। श्री जयप्रकाश नारायण का स्थान भारत में जन-जागरण लाने वाले नेताओं में सदैव अमर रहेगा। इसी प्रकार डॉ. राममनोहर लोहिया, श्री अच्युत पटवर्धन एवं अरुणा आसफअली ने इस क्रान्ति में जो भाग लिया, वह सदैव एक उज्ज्वल उदाहरण रहेगा।
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