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श्री विश्वमित्र शर्मा ने जो विषय चुना है, उनसे मैं अभिभूत हूँ। यह पुस्तक महिलाओं के प्रति एक श्रद्धांजलि है। विश्वमित्र शर्मा अनुभव करते हैं कि आदमी ने महिलाओं को अभी तक उचित स्थान नहीं दिया। उन्होंने इस कमी को बड़े ही रोचक ढंग से वर्णित किया है। लेखक का विचार है कि औरतों को उचित स्थान मिलना ही चाहिए। पुरुष ने अपनी शक्ति और अभिमान के मद में महिलाओं के अधिकारों की उपेक्षा की है। श्री शर्मा ने महिलाओं की मौलिक विशिष्टताओं को उभारकर स्पष्ट किया है कि पुरुषों को अपने व्यवहार पर पुनर्विचार करना होगा।
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VISHVMITRA SHARMA

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