Details
अफ़्रो-अमेरिकन स्त्री रचनाकारों को पढ़ना एक भिन्न अनुभव से गुजरना है। मनुष्य के इतिहास विशेष रूप से अमेरिका के इतिहास का काला अध्याय - गुलामी की दास्तान रोमहर्षक है। पढ़कर मन क्रोध और विवशता से भर उठता है। गुलामों की सहन शक्ति, साहस, संघर्ष, प्रतिरोध और उपलब्धियाँ मन में आशा का संचार करतीं। कहीं अपने देश, अपने समाज से यह साहित्य जुड़ा हुआ अनुभव होता। वही भेदभाव, शोषण-अत्याचार उच्च वर्ग-निम्न वर्ग, सत्ताधारी- सत्ताहीन का संघर्ष सब जगह नज़र आता। स्त्री की दोयम दर्जे की स्थिति सब देशों में। एक-सी है। अफ़्रो-अमेरिकन स्त्री श्वेत समाज द्वारा शोषित है, साथ ही अपने समाज द्वारा भी शोषित है। स्त्रियों को दूसरे समाज के साथ-साथ अपने समाज, अपने परिवार में भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इन्हीं स्थितियों का अतिक्रमण करती कुछ स्त्रियाँ सब स्थानों पर नजर आती हैं, अमेरिका में भी। ' अफ़्रो-अमेरिकन साहित्य : स्त्री स्वर' ऐसी ही स्त्रियों के लेखन और जीवन को सँजोने का प्रयास है। अफ्रो-अमेरिकन स्त्री साहित्य शिक्षा की भूमिका को बार-बार रेखांकित करता है। हैरिएट ए. जेकब्स, फ़िलिस वीटले, टोनी मॉरीसन, माया एंजेलो, एलिस वॉकर, एना कूपर, गैन्डोलिन ब्रूक्स, लौरेन हैंसबेरी, एड्रीनकेनेडी, लुसिल क्लिफ़्टन, टोनी बाम्बारा, ऐन्जला डेविस आदि बहुत सारी अफ्रो-अमेरिकन स्त्रियों ने कहानी, उपन्यास, कविता, नाटक, संस्मरण, राजनीतिक-सामाजिक आलेख, जीवनी, आत्मकथा तकरीबन सब विधाओं में लिखा है। इनका लेखन नस्ल, रंग और लिंग की सीमा के पार जाता है। इनमें से कुछ रचनाकारों के काम पर फिल्में बनी हैं जिन्हें देखना एक अलग अनुभव है। ‘अंडरग्राउंड रेलरोड' अनो-अमेरिकन जीवन, उनके साहस और उनकी उपलब्धियों का दस्तावेज है। इस आन्दोलन की विशिष्टता थी कि इसमें स्त्रियों की सक्रिय भागीदारी थी। अश्वेत स्त्री स्वर के बिना विश्व साहित्य, खासकर अमेरिकी साहित्य पूरा नहीं हो सकता है।
Additional Information
No Additional Information Available
About the writer
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.