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पिण्डदान मात्रा एक धार्मिक कर्मकाण्ड नहीं अपितु पितरों के प्रति आदर, निष्ठा, सम्मान, आस्था, प्रेम, श्रद्धा, ममता एवं समर्पण का प्रतीक है। वर्तमान का भूत को आदर, प्रेम तथा श्रद्धापूर्ण ऋण अदायगी का एक प्रतीकात्मक धार्मिक कृत्य जिसका अधिकार पुरुष को है। बद्रीधाम तीर्थ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस संग्रह की शीर्ष कथा ‘पिण्डदान’ जहाँ एक ओर इस महत्वपूर्ण पुरुष प्रधान धार्मिक अनुष्ठान में एक स्त्री के दायित्व, उसकी भूमिका तथा अधिकार की विवेचना करती है वहीं एक संस्कृति से भी परिचित कराती है।
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DR. JASVINDER KAUR BINDRA

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