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1900-1950 देश के इतिहास का वह कालखण्ड है जिसमें एक ओर अनेक राष्ट्रीय आन्दोलन हुए तो दूसरी ओर हिन्दी साहित्य ने अपने चरम को छुआ। साहित्य के पटल पर सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानन्दन पन्त, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, प्रेमचन्द, डॉ. रामकुमार वर्मा जैसे साहित्यकारों का आविर्भाव हुआ। सरस्वती, चाँद, मर्यादा, स्त्रीदर्पणी, हिन्दुस्तानी तथा अन्य साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएँ देश के कोने-कोने से निकलना प्रारम्भ हुईं। नागरी प्रचारिणी सभा, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दुस्तानी एकेडमी, परिमल, हिन्दी लेखक संघ, भारतीय हिन्दी परिषद, साहित्यकार संसद जैसी संस्थाओं का निर्माण हुआ। ‘हिन्दी साहित्य के विकास 1900-1950’, में इसी साहित्यिक आन्दोलन को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा गया है। इस साहित्यिक आन्दोलन का केन्द्र प्रयाग रहा है अतः पुस्तक के केन्द्र बिन्दु में भी प्रयाग ही है।
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DR. DEVENDRA KUMAR SHARMA

Books by DR. DEVENDRA KUMAR SHARMA
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