Details
प्रायः होमियोपैथी और बायोकैमिक चिकित्सा पद्धति का समन्वय एक पुस्तक में कम ही मिलता है। इस कमी को दूर करने के लिए यह पुस्तक उसकी एक कड़ी है। कुछ ऐसी जानकारियाँ जैसे होमियोपैथी के क्रोनिक, उपचार में ध्यान रखने योग्य बातें, प्रतिरोधक आदि जो अन्य पुस्तकों में एक स्थान पर उपलब्ध नहीं हैं इस पुस्तक में हैं। पुस्तक के अध्याय चिकित्सा की दृष्टि से गहराई तक लिखे गये हैं। रोग में कौन सी औषधि प्रयोग की जाए और किस आधार पर दी जाए। रोग में किस पोटेन्सी (शक्ति) का प्रयोग किया जाए इस पुस्तक में इस कठिनाई को भी दूर कर दिया है, जो इस पुस्तक का मूल बिन्दु है। यह पुस्तक छोटे रूप में गागर में सागर है। यह पुस्तक चिकित्सकों के साथ-साथ चिकित्सा की दृष्टि से आम जनता के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी।
Additional Information
होमियोपैथी के आविष्कारक डॉ. हेनिमेन द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों के अनुसार जिस औषधि का मूल रूप (क्रूड फार्म) में सेवन करने पर स्वस्थ मनुष्य के शरीर में कुछ लक्षण उत्पन्न होते हैं और वही लक्षण जब अस्वस्थ मनुष्य में भी पाये जाते हैं तब उसी दवा को शक्तिकृत करने के बाद औषधि रूप में अस्वस्थ मनुष्य को सेवन कराने पर उस रोग के लक्षण समाप्त हो जाते हैं और रोगी अपने आपको स्वस्थ महसूस करता है। लक्षणों के आधार पर दवा निकाल कर रोगी को दी जाती है और रोगी निरोग हो जाता है। लक्षणों के आधार पर दवा निकाल कर रोगी का इलाज करना ही होमियोपैथी कहलाती है। मनुष्य के शरीर में अजैव अथवा 12 अकार्बनिक लवण तत्त्व होते हैं। अगर इन तत्त्वों के अनुपात में कोई अन्तर आ जाता है तब रोग उत्पन्न हो जाता है, और उसी तत्त्व की पूर्ति अति सूक्ष्म (शक्तिकृत) औषधि के द्वारा कर दी जाती है तो शरीर स्वस्थ हो जाता है। यही बायोकैमिक चिकित्सा पद्धति कहलाती है।
About the writer
DR. M.B.L. SAXENA

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