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मानक हिन्दी
Additional Information
यह कोई पाठ्य-पुस्तक नहीं है। अतः इसमें किसी भी परीक्षा के पाठ्य-क्रम का समावेश नहीं किया गया है। इसमें बहुत से विस्तृत ब्यौरे नहीं दिये गये हैं जो सामान्यतः पाठ्य-पुस्तकों में दिये जाते हैं। न इसमें व्याकरण की सूक्ष्मताएँ दिखाई गयी हैं। मैंने इसे यथासाध्य व्याकरण के झंझटों से दूर ही रखा है। अतएव इसमें तकनीकी शब्दों का प्रायः अभाव है। यह पुस्तक सामान्य पाठकोंऔर उदीयमान लेखकों को दृष्टि में रखकर लिखी गयी है। जितने प्रकार की भूलें हिन्दी के लेखक किया करते हैं इसमें उनका संकलन करने का प्रयत्न किया गया है। ऐसी भूलों की जितनी बड़ी सूची मेरे पास संगृहीत है, उसकी चौथाई भी इसमें समाविष्ट नहीं हो सकी है। केवल हर प्रकार की दो-दो, तीन-तीन भूलें दे दी गयी हैं। भूलों का कलन अधिकतर पुस्तकों से किया गया है क्योंकि समाचारपत्रों में जो लेख आदि दिये जाते हैं, उनमें तो लेखक जल्दी के कारण प्रमाद कर जाते हैं, किन्तु पुस्तकों में तो लिखते समय अधिक सावधानी बरती जाती है। अतएव, यह पुस्तक नये और पुराने सभी प्रकार के लेखकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इसके अतिरिक्त परीक्षार्थियों के लिए सहायक पुस्तक का काम भी देगी।
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BRIJ MOHAN

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