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अस्मिताओं का संघर्ष
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भारतीय इतिहासकारों का लेखन सदैव राजवंशों के इर्द-गिर्द घूमता रहा है, समाज का इतिहास यह कभी नहीं बन सका। वर्णव्यवस्था आधारित समाज जिसे आज 'हिन्दुत्ववादी व्यवस्था' भी कहा जाता है, में विभिन्न जाति, वर्गों की क्या दशा थी? स्त्रियों की क्या दशा थी? इन प्रश्नों पर इतिहासकारों की लेखनी मौन रही है। प्रस्तुत पुस्तक में न केवल इन प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास किया गया है, साथ ही वर्तमान समय में इस सामाजिक-धार्मिक व्यवस्था के सन्दर्भ में उठ रहे ज्वलन्त मुद्दों का विश्लेषण करने का प्रयास भी किया गया है।
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KAMAL KISHOR KATHERIA

Books by KAMAL KISHOR KATHERIA
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