Details
No Details Available
Additional Information
चचा और चंपू में कौन अबोध है। यह गैर विश्व विध्यालयी शोध का विषय है। बगीची की मिट्टी पर बरसात की पहली बूंदों से उठने वाली सोंधी महक की तरह दोनों के दिलों से उठे उद्गार वातावरण में फैल जाते हैं मिट्टी में आखाडा है। झंडों में फंडों और डंडों की बात है। अशोक जी की चटकीली भाषा में लिखी यह किताब आप पर व्यंग्य करती है। व्यवस्था पर व्यंग्य करती है।
About the writer
ASHOK CHAKRADHAR

Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.