Details
No Details Available
Additional Information
प्रस्तुत पुस्तक में लेखन से सम्बद्ध पाठक एवं जिज्ञासुओं के ज्ञानवर्द्धन के लिए हिन्दी साहित्य की समस्त विधाओं का सुचारु ढंग से समावेश किया गया है। लेखन दायित्वपूर्ण कार्य है। किसी भी विधा पर किया गया लेखन समूची लेखन कला का चेहरा प्रस्तुत करता है। इसलिए इसे बहुत गम्भीरतापूर्वक, प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। यह सरल वाक्यों में लिखना चाहिए। लेखक सर्वज्ञ-मर्मज्ञ होते हुए भी कई शंकाओं से घिर सकता है ऐसी स्थिति में कुछ विशेष वाक्यों-खंडों का प्रयोग करना चाहिए-यह स्पष्ट लगता है, ऐसा प्रतीत होता है, यह देखना शेष है, एक विचार/मार्ग यह भी है...। लेख की सम्पूर्ण सामग्री ज्ञानवर्द्धक एवं सन्तोषप्रद होनी चाहिए। इसके साथ-साथ लेखक को विषय की पृष्ठभूमि का पूर्ण ज्ञान; जनहित में समसामयिक विषय का चयन; विषयानुरूप भाषा एवं समास शैली का प्रयोग; प्रसंगानुकूल उद्धरण या कथन; रोचकता, सहजता, निष्पक्ष निर्णय एवं प्रभावशाली शीर्षक भी लेखन कला के कतिपय अनिवार्य तथ्य हैं। उम्मीद है साहित्य के सभी वर्गों के लिए पुस्तक उपयोगी साबित होगी।
About the writer
DR. MADHU DHAWAN

Books by DR. MADHU DHAWAN
- VIGYAPAN KALA
- BHARAT KAHAN JA RAHA HAI
- HINDI SAHITYA KA SANSHIPITA ITIHAS
- BOLCHAL KI HINDI AUR SANCHAR
- BHARATI GADYA-SANGRAHA
- Mahalaxmi Ji Kahan Rahti Hain Tatha Anya Kahaniyan
- KHAUF
- AAJ KI PUKAR
- LEKHAN KALA :EK PRICHAYA
- LEKHAN KALA :EK PRICHAYA
- Chingariyan
- Tadpati Chahten
- Hindi Kahani Ka Vaicharik Paksh
- Tamil Putra Kalki
- Vigyapan Kala
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.