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नौ कहानियों के इस संग्रह में ज्योति कुमारी की कहानियां चौंकती हैं कि वह अपनी कथा नायिका के भीतर उतर कर इतनी गहराई से बाहरी दुनिया को देख पाती है। अपने इस निजी कोटर से बाहर न निकलने वाली नायिका बाहरी सामाजिक बदलवों के साथ किस तरह धीरे-धीरे अनजाने ही बदलती जाती है, इसे देखना एक नाटकीयता से गुज़ारना है। इस कला का सर्वक्षेष्ठ उदहारण है, शरीफ लड़की। जहाँ माँ-बाप द्वारा निर्धारित शरीफ लड़की की सारी मर्यादाओं को स्वीकार करती हुई वह अन्दर ही अन्दर उन सबके विरुद्ध होती जाती है। यहाँ तक कि उसकी जिन्दगी शरीफ होने के एकदम विपरीत लगभग 'बुरी लड़की' की सीमा का स्पर्श ही नहीं करती बल्कि वह गर्भवती भी हो जाती है। विश्वास अपने को यही दिलाये रखती है कि वह वही शरीफ लड़की है जिसे माँ-बाप ने तैयार किया था। लेखिका की अन्य कहानियाँ भी प्राय: अपने अंतर्जगत से जूझने की और उससे बाहर आने की कहानियाँ हैं। कहीं वह ‘अनझिप आँखें’ के रूपक द्वारा इस विद्रोह को वाणी देती है तो कहीं ‘दस्तख़त’ में अपना सब पढ़ा-लिखा भूल जाने के रूप में दूसरे धर्म में शादी करने के अपराधबोध और द्वन्द्वात्मकता को हर पल जीती हुई अपने ‘टिकने की जगह’ तलाश करती है और पाती है कि प्यार और भूख ही ऐसे डुबा देने वाले अनुभव हैं जहाँ धर्म का प्रवेश नहीं है। इसके आगे बढ़कर लड़की के लिए गर्भ और प्रजनन ऐसी प्रक्रियाएँ हैं जहाँ लम्बे वक्त तक उसे सिर्फ साथ ही जीना होता है। वहाँ न धर्म है, न सम्प्रदाय। लेखिका की कहानी की नायिकाएँ परी और परी ड्रेस, चाँद और चाँदनी पेड़-पौधे, फूल-तितली, समुद्र और नदी की कल्पनाओं से आक्रान्त हैं। ये स्मृतियाँ प्रायः उसकी हर कहानी में जंगल की तरह उग जाती हैं। नायिका अकसर ही पलायन के लिए बार-बार इन स्मृति बिम्बों के पास पहुँचती है। कथ्य, शिल्प और भाषा की ताजगी ही लेखिका को नये आने वाले लेखकों में सबसे अलग करती है। वह उस नये स्त्री लेखन को सहज ही आत्मसात किये हुए है जहाँ स्त्री अपनी भाषा में सैकड़ों सालों के वर्जनीय क्षेत्रों, अनुभवों और आकांक्षाओं को वाणी दे रही है।
Additional Information
युवा कथाकार ज्योति कुमारी के पहले कहानी संग्रह 'दस्तख़त और अन्य कहानियाँ' के माध्यम से एक बात स्पष्टता से नज़र आती है वह है कम उम्र में लेखिका ने जीवन के कई अनुभवों को देखा, भोगा और हर स्थितयों का सामना किया है। उसका यह जीवट उसके पहले कहानी संग्रह के माध्यम से वाणी प्रकाशन ने प्रस्तुत किया है। प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह कहते हैं कि 'ज्योति के लेखन को देखकर यह बहुत अच्छा लगा कि इसके लेखन में कोई वर्जना नहीं है। खुले दिमाग से जो जैसा लगा, उसे वैसा ही लिखा है। कोई बनावट, गांठ या कुंठा नहीं है। सहजता है। यही लेखिका की विशेषता है। सबसे अहम बात तो यह कि इस संग्रह का नाम भी लेखिका को मैंने ही सुझाया है-''दस्तख़त और अन्य कहानियाँ' । क्योंकि 'दस्तख़त' कहानी साहित्य जगत में लेखिका का ऐसा सशक्त हस्ताक्षर है, जिसे अनदेखा करना मुमकिन नहीं।'
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JYOTI KUMARI

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