Details
लेखक – रेनाता चेकाल्स्का अनुवादक – अशोक वाजपेयी
Additional Information
संसार में अनिवार्य रूप से मौजूद बुराई और मानवीय यातना को अपनी कविता के केन्द्र में रखनेवाले पोलिश कवि चेस्लाव मीलोष बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विश्व-कविता के अधिकतर उलझे परिदृश्य में एक अनिवार्य नाम रहे हैं। इस समय वे सम्भवतः विश्व-कविता के सबसे जेठे सक्रिय कवि हैं। अपनी जातीय ईसाई परम्परा से मीलोष ने मनुष्य में अनिवार्यतः मौजूद बुराई का तीखा अहसास पाया था। उसे पोलैण्ड में पहले नाज़ी और बाद में साम्यवादी तानाशाहियों द्वारा दमित-शोषित किये जाने के दुखद ऐतिहासिक अनुभवों ने मीलोष को इस बुराई को उसकी सारी विकृतियों और उसमें लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण साझेदारी या उनके बारे में अवसरवादी चुप्पी के साथ नज़दीक से देखने-समझने का अवसर दिया। कविता उनके लिए इसके विरुद्ध संघर्ष की रणभूमि बनी।
About the writer
ASHOK VAJPEYI

Books by ASHOK VAJPEYI
- Seediyan Shuroo Ho Gayee Hein
- HAMARE AUR ANDHERE KE BEECH
- POLISH KAVI CZESLAW MILOSZ : KAVITAYEN
- PACHAS KAVITAYEN - ASHOK VAJPEYI
- GHAS MEN DUBKA AAKASH
- KIS BHOOGOL MEIN KIS SAPNE MEIN
- BAHURI AKELA : KUMAR GANDHARAV PAR KAVITAYEN AUR NIBANDH
- KUCH KHOJTE HUYE
- YAHAN SE WAHAN
- UMEED KA DOOSARA NAAM
- HAMARE AUR ANDHERE KE BEECH
- KUCHH KHOJTE HUE
- Pant Sahachar
- Yahan Se Wahan
- Thoda-Sa Ujaala
- Thoda-Sa Ujaala
- Thoda-Sa Ujaala
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.