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खरे की कविताओं में छायावाद का पूरा युग उतरा हुआ नजर आता है! यह देखकर आश्चर्य होता है कि खरे जी के शिल्पगत प्रयोग साठोत्तरी हिन्दी कविता में पूरी ताकत के साथ कवियों के द्वारा इस्तेमाल किये गये! -प्रो. राकेश दुबे / प्रो. कवि इन्द्र बहादुर खरे की गीति साधना अगरु वलयों के सदृश है! कवि कि गीति संपदा का नेपथ्य में ओझल बने रहना बड़ा कारुणिक व्यंग है! - प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी / ये रचनाएँ संगीत की दृष्टि से भी अत्यन्त समृद्ध हैं और इस कवि के नहीं रहने के बावजूद ये कविताएँ उनके चिरजीवी होने का प्रमाण देती हैं! - प्रो. ऋता शुक्ला
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INDRA BAHADUR KHARE

Books by INDRA BAHADUR KHARE
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