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प्रथम अध्याय में नाग/सर्प के बारे में जो मिथक एवं धार्मिक मान्यताएँ हैं उनके बारे में प्रकाश डाला गया है। विभिन्न देवताओं के साथ सर्प का जुड़ना तथा अनेक मन्दिरों में सर्प-पूजा जो भारत के कोने-कोने में प्रचलित है। नाग नाम से जुड़े अनेक लोग भी भारत के प्रायः सभी प्रान्तों में हैं। इनका अस्तित्व महाभारत के समय से है। प्राचीन ग्रन्थों में नागलोक का भी वर्णन आता है। नागवंश एक प्राचीन वंश रहा है। इस वंश ने भारत के एक बड़े भूखण्ड पर राज्य स्थापित किया था। इस अध्याय में इनके बारे में उल्लेख हुआ है। द्वितीय अध्याय में नागों का कहाँ-कहाँ आधिपत्य रहा तथा इस वंश के विख्यात राजाओं का उल्लेख हुआ है। विभिन्न समयों में इनका अस्तित्व खोज के आधार पर दर्शाया गया है। शिलालेखों एवं अनेक महत्त्वपूर्ण लेखकों की पुस्तकों के आधार पर इनके इतिहास की छानबीन की गयी है। इस अध्याय में इनके छोटानागपुर, जो महाभारत काल में कई खण्ड के नाम से प्रसिद्ध था, आने का और राज्य स्थापना का वर्णन हुआ है। नागवंशियों के छोटानागपुर में राज्य स्थापना के बारे में विभिन्न विद्वानों के मत दिये गये हैं। तृतीय अध्याय में इस वंश के राजाओं के इतिहास में लिखी गयी वंशावली जो वेणीराम महथा एवं घासीराम द्वारा लिखी गयी हैं, उनके आधार पर वंशावली का विवेचन हुआ है। साथ ही इन दोनों लेखकों का तुलनात्मक अध्ययन हुआ है। शोध का विषय घासीराम की वंशावली था अतः वंशावली की रचना एवं घासीराम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित यह तृतीय अध्याय विशेष महत्त्व रखता है। घासीराम की वंशावली नागपुरी भाषा में लिखी गयी है। अतः इस भाषा के विभिन्न पहलुओं पर तथा नागपुरी वाङ्मय में कवि के स्थान एवं महत्त्व का निर्देश है। अतः इस अध्याय का विशेष महत्त्व है। चतुर्थ अध्याय नागवंशावली में वखणत ऐतिहासिक तथ्य एवं सामाजिक तथ्य को प्रकाशित करता है। इस अध्याय के अन्त में छोटानागपुर के राजाओं के नाम तथा राजत्वकाल का क्रम अथवा कुर्सीनामा दिया गया है। छोटानागपुर की संस्कृति का इस अध्याय में उल्लेख हुआ है।
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Vimaleshwari Singh

Books by Vimaleshwari Singh
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dr.sanjay borude
- outstanding work
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this book is very precious for the scholars and students to study & work in the field of folklore.
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