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Dr. Devendra
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‘भारतीय भाषाओं में रामकथा’ वाणी प्रकाशन का एक विशिष्ट प्रकाशन है जिसमें विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध रामकथा पर मूल और आलोचनात्मक सामग्री का संकलन किया गया है. इस श्रृंखला में अब तक अवधी, पहाड़ी, कन्नड़, गुजराती और बांग्ला भाषा से सम्बन्धित पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी हैं. ‘भारतीय भाषा में रामकथा : राजस्थानी भाषा’ इस श्रृंखला की नवीनतम पुस्तक है. हिन्दी समाज जो तुलसीदास के ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से ही रामकथा से परिचित है, उसे राजस्थानी रामकाव्यों में वर्णित रामकथा के स्वरूप में कहीं-कहीं भिन्नता भी मिलेगी. वस्तुतः राजस्थानी भाषा के रामकाव्यों पर संस्कृत की रामायण परम्परा का भी काफी प्रभाव है लेकिन कहीं-कहीं लोक-प्रभाव भी अपने पूरे रूप-रंग के साथ साकार होता है. आधुनिक चिन्तन दृष्टि तथा विचारधारा के अनुरूप रामकथा सम्बन्धी विभिन्न पात्रों के चरित्रांकन तथा घटना-प्रसंगों के रूपांकन में वैसा ही परिवर्तन राजस्थानी में भी दिखाई देता है जैसा हिन्दी तथा अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं के साहित्य में. ‘भारतीय भाषाओं में रामकथा’ श्रृंखला की अन्य पुस्तकों की तरह ‘भारतीय भाषाओं में रामकथा : राजस्थानी भाषा’ भी अपने विषय-वस्तु और उसकी प्रस्तुति के कारण संग्रहणीय और बेहद उपयोगी है.
About the writer
YOGENDRA PRATAP SINGH

Books by YOGENDRA PRATAP SINGH
- HINDI SAHITYA KA ITIHAS AUR USKI SAMASYAYEN
- HINDI AALOCHANA : ITIHAS AUR SIDDHANTA
- JAN JAN KE KAVI : TULSIDAS
- Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha (Bundeli Bhasha)
- Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha (Aaranyak Bhasha)
- HINDI SAHITYA KA ITIHAS AUR USKI SAMASYAYEN
- Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha : Bangla Bhasha
- Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha : Rajisthani Bhasha
- Janjateey Jeevan Mein Ram
- Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha : Telugu Bhasha
- Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha : Tamil Bhasha
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