Details
क़लम ज़िन्दा रहे
Additional Information
‘क़लम ज़िन्दा रहे’ इकराम राजस्थानी की हिन्दुस्तानी ग़ज़लों,रुबाइयों, अशआर और दोहों की मुकम्मल किताब है। इकराम राजस्थानी की इन बहुरंगी तेवर की रचनाओं में कथ्य और रूप के समन्वय के साथ-साथ भाव और भाषा की आज़ादी तथा ख़याल और चित्रण का खुलापन भी मिलता है। संग्रह की रचनाओं में तन-मन, घर-परिवार, नाते-रिश्ते, समाज-परिवेश, धर्म-सियासत, क़ौम-भाषा, देश-दुनिया, गाँव-परदेस, ख़्वाब-हकीक़त,निजी-सार्वजनिक, प्रकृति-प्राणी, गम-ख़ुशी, ख्वाहिश- इच्छाएँ और विचार-व्यवहार के व्यापक दायरों को समेटा गया है। इकराम राजस्थानी की इन विविध रचनाओं में ज़िन्दगी का एक गहराफ़लसफ़ा मिलता है और यही बाक़ी चीज़ों को देखने के उनकेनज़रिये को भी पैना बनाता है। इसके अलावा यहाँ इंसानियत के अलग-अलग पहलुओं की बारीक पहचान भी है जो बरबस ही हमारा ध्यान खींच लेती है। प्रयोग की दृष्टि से देखें तो इकराम राजस्थानी की अलग-अलग फॉर्म की रचनाओं में-चाहे वे ग़ज़लें हों, रुबाइयाँ हों, अशआर हों या दोहे -एक सहज गति और लयकारी मिलती है जो पढ़ने के आनन्द को कई गुना बढ़ा देती हैं। इनकी भाषा में भी एक सहज प्रवाह और रवानगी है। यहाँ आम जन-जीवन और बोलचाल की भाषा का रचनात्मक प्रयोग इस तरह से किया गया है कि बोलचाल और साहित्यिक भाषा का फ़र्क मिट-सा गया है। अपने कथ्य और भाषा के सौन्दर्य के कारण ये छोटी-छोटी रचनाएँ हर तरह के पाठकों के लिए बारम्बार पठनीय हैं।
About the writer
Ikraam Rajasthani

Books by Ikraam Rajasthani
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.