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‘भारतीय संविधान राष्ट्र की आधारशिला’ कृति से पहले भारतीय संविधान से सम्बन्धित अधिकांश लेखन संविधान के नीरस प्रावधानों में उलझ कर रह जाता था। यह तात्कालिता और वर्णनात्मकता से आक्रान्त एक ऐसा लेखन था जिसमें एक दस्तावेज़ के रूप में संविधान की ऐतिहासिक पूर्व-पीठिका, संविधान सभा की उग्र बहसों के आग्रह-दुराग्रह और चिन्ताएँ अनुपस्थित थीं इस तरह ग्रेनविल ऑस्टिन की तरह इस रचना ने भारत में संवैधानिक अध्ययन की धारा को एक नया परिप्रेक्ष्य प्रदान किया।
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Granville Austin Translated by Naresh Goswami

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