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भारतीय नीतियों का सामाजिक पक्ष
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हाल के वर्षों में भारत में सामाजिक नीतियों की पहुँच में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आज विद्यालयों और आँगनबाड़ी (बाल देखभाल केन्द्र) जैसी सुविधाएँ हर गाँव में स्वीकार्य आदर्श बन चुकी हैं; स्वास्थ्य सेवाएँ अधिक सुलभ और अधिक व्यवस्थित हैं; पोषाहार योजनाएँ, लोक कल्याण कार्य और सामाजिक सुरक्षा पेंशन पहले की तुलना में अब ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँच रहे हैं। इनमें से कुछ सुविधाएँ अब प्रवर्तनीय वैधानिक अधिकारों का रूप लेती जा रही हैं। किन्तु अभी तक भी इन सामाजिक कार्यक्रमों का क्रियान्वयन आदर्श स्थिति से बहुत दूर है। अधिकांश भारतीय राज्यों को अभी भी उपयुक्त जगहों पर ऐसी प्रभावी सामाजिक नीतियों को क्रियान्वित करने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करना है जो सीधे-सीधे आम और वंचित तबके के हितों, माँगों और अधिकारों से मुखातिब हों। भारतीय नीतियों का सामाजिक पक्ष उक्त विषय और उससे जुड़े मुद्दों पर लिखे गये उन आलेखों का संग्रह है, जो पहले इकोनॉमिक ऐंड पॉलिटिकल वीकली में प्रकाशित हो चुके हैं। पुस्तक के 18 अध्याय मुख्यतः इन छह बिन्दुओं के आसपास केन्द्रित हैं : 'स्वास्थ्य, शिक्षा,' 'खाद्य सुरक्षा,' 'रोजगार गारंटी,' 'पेंशन और नगद हस्तान्तरण' तथा 'विषमता और सामाजिक बहिष्कार'। प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा किये गये इन आलोचनात्मक मुद्दों के व्यापक विश्लेषण को पहली बार किसी एक पुस्तक में समाहित किया गया है। इन अध्ययनों में आँकड़ों की बहुलता है जो इस क्षेत्र में शोध करने वालों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। ज्याँ द्रेज की 'प्रस्तावना' से युक्त भारतीय नीतियों का सामाजिक पक्ष समाजविज्ञान, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और विकास अध्ययन के छात्रों और शोधार्थियों के लिए एक अनिवार्य पुस्तक है।
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Editor Jean Dreze, Co-Editor Kamal Nayan Chaubey

Books by Editor Jean Dreze, Co-Editor Kamal Nayan Chaubey
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