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आज इक्कीसवीं सदी में भी स्त्री-प्रश्न बरकरार हैं | पुनरुत्थानवादी मानसिकता उपयुक्त राजनीतिक माहौल में फिर पल्लवित होने लगती है | धर्म, सम्प्रदाय और जाति की राजनीति में जो वातावरण तैयार होता है उसका शिकार भी सर्वाधिक महिलाएँ होती हैं| इस पुस्तक में स्त्रीवाद से सम्बन्धित सवालों को उठाते हुए सिर्फ अकादमिक अध्ययन ही नहीं, बल्कि लोगों के बीच काम करते हुए प्राप्त होने वाले व्यावहारिक अनुभवों के आधार पर चर्चा की गयी है | समाज के विभिन्न वर्ग और समुदायों की स्थितियों को भी इसमें सम्मिलित करने का प्रयास किया है|
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Namita Singh

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