Details
‘हसीनाबाद’ के नाम से ये भ्रम हो सकता है कि यह उपन्यास स्त्रियों की दशा-दुर्दशा पर केन्द्रित है लेकिन नहीं, ‘हसीनाबाद’ खालिस राजनीतिक उपन्यास है जिसमें इसकी लेखिका औसत को केन्द्र में लाने के उपक्रम में विशिष्ट को व्यापक से सम्बद्ध करती चलती है। गीताश्री का यह उपन्यास एक गाँव की स्त्री के सतह से ऊपर उठने का स्वप्न है। स्त्री को अपनी रचनाओं में सतह से ऊपर उठाने का स्वप्न देखने की आँखें तो कई लेखिकाओं के पास हैं लेकिन देखे गये स्वप्न को आदर्श और यथार्थ के सन्तुलन के साथ चरित्रों को मंज़िल तक पहुँचाने का हुनर सिर्फ़ गीताश्री के पास ही दिखाई देता है। इस उपन्यास की नायिका के चरित्र को गढ़ते हुए गीताश्री उसको वैशाली की मशहूर चरित्र आम्रपाली बना देती हैं, यह रचना कौशल पाठकों को न केवल चमत्कृत कर सकता है बल्कि आलोचकों के सामने एक चुनौती बनकर भी खड़ा हो सकता है। ‘हसीनाबाद’ राजनीति सामन्ती व्यवस्था की लोक-कला की एक दारुण उपज है जिससे हिन्दी उपन्यासों में लोक की वापसी का स्वप्न एक बार फिर से साकार हो उठा है। कह सकते हैं कि गीताश्री का ये उपन्यास लोकजीवन की दयनीय महानता की दिलचस्प दास्ताँ है।
Additional Information
No Additional Information Available
About the writer
GEETA SHRI

Books by GEETA SHRI
- STRI KO PUKARTA HAI SWAPN
- SAPANON KI MANDI
- STRI KO PUKARTA HAI SWAPN
- PAANCH BEHATREEN KAHANIYAN
- PRARTHANA KE BAHAR AUR ANYA KAHANIYAN
- PRARTHANA KE BAHAR AUR ANYA KAHANIYAN
- Hasinabad (Ek Gumnaam Basti Ki Badnaam Dastaan)
- Hasinabad (Ek Gumnaam Basti Ki Badnaam Dastaan)
- Hasinabad (Ek Gumnaam Basti Ki Badnaam Dastaan)
- Bhoot-Khela
- Via Media
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.