Details
अन्धकार काल : भारत में ब्रिटिश साम्राज्य
Additional Information
इस धमाकेदार पुस्तक में लोकप्रिय लेखक शशि थरूर ने प्रामाणिक शोध एवं अपनी चिरपटुता से यह उजागर किया है कि भारत के लिए ब्रिटिश शासन कितना विनाशकरी था। उपनिवेशकों द्वारा भारत के अनेक प्रकार से किये गये शोषण जिनमें भारतीय संसाधनों के ब्रिटेन पहुँचने से लेकर भारतीय कपड़ा उद्योग, इस्पात निर्माण, नौवहन उद्योग और कृषि का नकारात्मक रूपान्तरण शामिल है। इन्हीं सब घटनाओं पर प्रकाश डालने के अतिरिक्त वे ब्रिटिश शासन के प्रजातन्त्र एवं राजनीतिक स्वतन्त्रता, क़ानून व्यवस्था, साम्राज्य के पश्चिमी व भारतीय समर्थक और रेलवे के तथाकथित लाभों के तर्कों को भी निरस्त करते हैं। अंग्रेज़ी भाषा, चाय और क्रिकेट के कुछ निर्विवादित लाभ वास्तव में कभी भी भारतीयों के लिए नहीं थे अपितु उन्हें औपनिवेशकों के हितों के लिए लाया गया था। भावपूर्ण तर्कों के साथ शानदार ढंग से वर्णित यह पुस्तक भारतीय इतिहास के एक सर्वाधिक विवादास्पद काल के सम्बन्ध में अनेक मिथ्या धारणाओं को सही करने में सहायता करेगी। भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का प्रारम्भ 1600 में रानी एलिज़ाबेथ I के द्वारा सिल्क, मसालों एवं अन्य लाभकारी भारतीय वस्तुओं के व्यापार के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी को शामिल कर लिए जाने से हुआ। डेढ़ शती के भीतर ही कम्पनी भारत में एक महत्तवपूर्ण शक्ति बन गयी। वर्ष 1757 में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में कम्पनी बलों ने बंगाल में शासन कर रहे सराजुद्दौला को प्लासी में अपेक्षाकृत बेहतर तोपों एवं तोपों से भी उच्च स्तर के छल से पराजित कर दिया। कुछ वर्ष बाद युवा एवं कमज़ोर पड़ चुके शाह आलम II को धमका कर एक फ़रमान जारी करवा लिया जिसके द्वारा उसके अपने राजस्व अधिकारियों का स्थान कम्पनी के प्रतिनिधियों ने ले लिया। अगले अनेक दशक तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने ब्रिटिश सरकार के सहयोग से लगभग पूरे भारत पर अपना नियन्त्रण फैला लिया और लूट-खसोट, कपट, व्यापक भ्रष्टाचार के साथ-साथ हिंसा एवं बेहतरीन बलों की सहायता से शासन किया। यह स्थिति 1857 में तब तक जारी रही जब बड़ी संख्या में कम्पनी के भारतीय सैनिकों के नेतृत्व में औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध पहला बड़ा विद्रोह हुआ। विद्रोहियों को पराजित कर देने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने सत्ता अपने हाथ में ले ली और 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक देश पर दिखावटी तौर पर अधिक दयापूर्ण ढंग से शासन किया।
About the writer
Customer Reviews
- No review available. Add your review. You can be the first.