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जीवन को अलग-अलग निगाह से देखने और पहचानने की एक स्वच्छन्द कोशिश है। इसमें जितना समय है, उतना ही समय की गवाही देते आदमी की रंगारंग फितरतें भी। यह कहना गुनाह नहीं होगा कि लेखक की स्मृतियों की सीमा ही, इनकी भी सीमा है अन्यथा तो ये सब जो यहाँ याद किये गये हैं, सचमुच याद करने लायक हैं। ये सब अलग-अलग किस्में हैं, स्वभावतः अपनी विरलता का सौन्दर्य और रोमांच लिए हुए। जिस भाषा और शिल्प के मुहावरे में ये बाँधे गये हैं उसमें उनके व्यक्तित्व की वे सुगन्धें धीमे-धीमे मुस्करा रही हैं, जो कई अन्यों के भी अनुभवों में होंगी।
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VIJAY BAHADUR SINGH

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