JOGENDRA POUL TRANSLITERATION : MAHTAB HAIDAR NAQVI

जोगेन्द्र पॉल का जन्म सियालकोट में (अब पाकिस्तान में) 1925 में हुआ था। उनकी पहली कहानी 1945 में उर्दू की जानी-मानी पत्रिका ‘साकी’ में प्रकाशित हुई थी। देश के विभाजन के चलते उन्होंने शरणार्थी के रूप में अम्बाला प्रवास किया। उन्होंने विवाह के बाद केन्या में प्रवास किया जहाँ वह अंग्रेज़ी पढ़ाते थे। वह अपने लगातार निर्वासित होने के गुश्स्से को व्यक्त करते रहे थे। वह 1965 में भारत में लौटने पर, चौदह वर्ष तक महाराष्ट्र में औरंगाबाद में कॉलेज के प्रिंसिपल रहने के बाद पूर्णकालिक लेखन के लिए दिल्ली में आकर बस गये।
जोगेन्द्र पॉल के तेरह से अधिक कहानी संकलन प्रकाशित हुए हैं जिनमें खुला, खोदू बाबा का मकबरा और बस्तिआन शामिल हैं। उनके उपन्यास एक बूँद लहू की, नादीद, पार पारे और ख्वाबरो हैं। उनके तीन लघु कथा संग्रह हैं, उन्होंने इस विधा में उर्दू कथा साहित्य को बहुत समृद्ध किया है। उनकी अधिकांश पुस्तकों को हिन्दी में भी प्रकाशित किया गया है। उनकी अनेक कहानियों और उपन्यासों को अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया है और नेशनल बुक ट्रस्ट, पेंग्विन इंडिया, कथा और हार्पर कोलिन्स द्वारा प्रकाशित किया गया है।
पॉल को सार्क लाइफटाइम अवार्ड, इकष्बाल सम्मान, उर्दू अकादमी पुरस्कार, अखिल भारतीय बहादुर शाह जश्फष्र पुरस्कार, शिरोमणि पुरस्कार और गशलिब पुरस्कार सहित अनेक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित किया गया है। उन्हें उर्दू में लेखन में योगदान के लिए कतर में अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी पुस्तकों को अत्यधिक सम्मान प्राप्त हुआ है तथा भारत और पाकिस्तान में कई उर्दू पत्रिकाओं ने उन पर विशेषांक प्रकाशित किये हैं। उनके कथा-साहित्य का भारत और विदेश में कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।