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खोजबीन का आनन्द
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वर्तमान के दौर में अत्यन्त प्रचलित पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के जुमले से तीन-चार दशक पहले शुरू हुए होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम ने दरअसल राज्य सरकार एवं ग़ैर-सरकारी संस्थाओं के बीच एक सघन शैक्षणिक हस्तक्षेप में साझेदारी की शुरुआत की मिसाल प्रस्तुत की। एक ऐसी शैक्षिक सहभागिता जो सन् 1972 से शुरू होकर चार दशक तक जारी रही। सघन साझेदारी के ऐसे लम्बे चले प्रयास विरले ही सुनने को मिलते हैं। साझेदारी की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण खासियत यह थी कि इसमें बहुत सारे किरदार थे। ऊपर उल्लिखित दो के अलावा, सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षक और उन पाँच सौ से अधिक शालाओं में पढ़ने वाले लाखों बच्चे। साथ ही देशभर से रुचि रखने वाले सैकड़ों लोग चाहे वे कॉलेज की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी हों, या सर्वोत्तम संस्थानों में शोधरत वैज्ञानिक, और उच्च शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर पढ़ा रहे प्रोफ़ेसरान तो इसमें शामिल थे ही। यानी कि हर मायने में एक बहुआयामी साझेदारी थी यह। राजेश खिंदरी एकलव्य
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Kalu Ram Sharma

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