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भारतीय ग्राम शृंखला- 1 ग्रामीण श्रेत्रों में मानवशास्त्रीय अध्ययन “यह पुस्तक स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन में गत्यात्मक परिवर्तनशीलता की तस्वीर प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक के संकलित आलेखों में देश के विभिन्न गाँवों की सामाजिक संरचना और उनमें आये परिवर्तन, बढ़ता शहरीकरण एवं भारतीय ग्रामों की आत्मनिर्भरता के मिथक आदि पर विस्तार से अध्ययन किया गया है” भारतीय ग्राम शृंखला- 2 ग्रामीण विकास : प्ररिपेक्ष्य, नीतियाँ और कार्यक्रम “ग्रामीण भारत के जीवन के विविध् आयामों से सम्बन्ध्ति विद्वत्तापूर्ण और अनुसन्धनपरक आलेखों से बनी यह पुस्तक अपने आप में अनूठी है। इस पुस्तक के संकलित आलेखों में सामाजिक एवं लैंगिक संरचनात्मक परिवर्तन, सामुदायिक विकास, ग्रामीण विद्युतीकरण, हरित क्रान्ति, ग्रामीण राजनीति जैसे पहलुओं से भारतीय ग्रामीण जीवन के विविध आयामों का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है” भारतीय ग्राम शृंखला- 3 ग्रामीण परिवेश का बदलता जीवन : सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक प्ररिपेक्ष्य “यह पुस्तक स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन में गत्यात्मक परिवर्तनशीलता की तस्वीर प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक के अध्यायों को पढ़ते हुए हमें स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद के आरम्भिक दशकों में भारतीय गाँवों की स्थिति, जातियों की भूमिका और उनमें हो रहे परिवर्तन के बारे में जानकारी मिलती है। इस पुस्तक के संकलित आलेखों में ग्रामीण परिवेश का आधुनिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण, ग्रामीण स्त्रियों की आकांक्षाएँ एवं पुरुष संस्कृति, हाशिये की राजनीति एवं कृषि सम्बन्धी परिवर्तनों का पुनरावलोकन किया गया है।”
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Editor Jean Dreze, Co-Editor Kamal Nayan Chaubey

Books by Editor Jean Dreze, Co-Editor Kamal Nayan Chaubey
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