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प्रतिमान - 13 (बदलता हुआ संघ परिवार)
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बारह साल पहले विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) के भारतीय भाषा कार्यक्रम ने हिन्दी में व्यवस्थित अनुसंधानपरक चिन्तन और लेखन को बढ़ावा देने की कोशिशें शुरू की थीं। अब यह उद्यम अपने दूसरे चरण में पहुँच गया है। पहला दौर मुख्यतः अंग्रेज़ी में और यदा-कदा अन्य भारतीय भाषाओं में लिखी गयी बेहतरीन रचनाओं को अनुवाद और सम्पादन के जरिये हिन्दी में लाने का था। इसमें मिली अपेक्षाकृत सफलता के बाद अंग्रेज़ी से अनुवाद और सम्पादन पर जोर कायम रखते हुए भारतीय भाषाओं में भी समाज-चिन्तन करने की दिशा में बढ़ने की जरूरत महसूस की गयी थी। लेकिन इस पहलकदमी के साथ व्याहारिक और ज्ञान-मीमांसक धरातल पर एक रचनात्मक मुठभेड़ की पूर्व–शर्त जुड़ी हुई थी। सीएसडीएस के स्वर्ण जयंती वर्ष में समाज-विज्ञान और मानविकी की अर्धवार्षिक पूर्व-समीक्षित पत्रिका प्रतिमान समय समाज संस्कृति के प्रकाशन द्वारा इस शर्त को पूर्ण करने का प्रयास किया गया। पिछले कुछ वर्षों में अध्ययन पीठ में अंग्रेज़ी के साथ-साथ हिन्दी में भी लेखन करने वाले विद्वानों की संख्या बढ़ी है। साथ ही भारतीय भाषा कार्यक्रम के इर्द-गिर्द कुछ युवा और सम्भावनापूर्ण अनुसंधानकर्ता भी जमा हुए हैं। प्रतिमान का मकसद इस जमात की जरूरतें पूरी करते हुए हिन्दी की विशाल मुफस्सिल दुनिया में फैले हुए अनगिनत शोधकत्ताओं तक पहुँचना है। समाज-चिन्तन की दुनिया में चलने वाली सैद्धान्तिक बहसों और समसामयिक राजनीतिक–सामाजिक-सांस्कृतिक विमर्श का केन्द्र बनने के अलावा यह मंच अन्य भारतीय भाषाओं की बौद्धिकता के साथ जुड़ने का प्रयास करता रहता है।
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ABHAY KUMAR DUBEY

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