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मासावात की जंग
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भारत में सामाजिक न्याय की अवधारणा अब भी कितनी अधूरी है, यह जानने के लिए इस शोध कृति को पढ़ना जरूरी है। आम तौर पर माना जाता है कि जाति व्यवस्था हिन्दू समाज में ही है और मुसलमान इस सामाजिक बुराई से मुक्त हैं। मंडल आयोग ने इस मिथक को पहली बार तोड़ा-पिछड़ी जातियों की उसकी सूची में मुसलमान भी थे। पिछड़ी जातियों के इन मुसलमानों को तो आरक्षण मिल गया लेकिन एक और मिथक टूटने की प्रतीक्षा कर रहा था जिसके अनुसार दलित वर्ग सिर्फ हिन्दू समाज का कलंक है। दरअसल हुआ यह है कि भारत में आकर इस्लाम ने भी अपना भारतीयकरण कर लिया, जिसके नतीजे में उसने हिन्दू समाज की अनेक बुराइयाँ अपना लीं। अन्यथा यहाँ के मुस्लिम समाज में हलालखोर, लालनेगी, भटियारा, गोरकन, बक्खो, मीरशिकार, चिक, रंगरेज नट आदि दलित जातियाँ न होतीं।
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ALI ANWAR

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