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प्रेस विधि एवं अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य
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भारत में मुद्रित समाचार-पत्रों का युग 1780 से प्रारम्भ होता है। प्रेस की आज़ादी और सम्पादकों की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता में बाधाएँ डालने की सदैव कोशिश होती रही है। दुर्भाग्य से स्वतन्त्रता के बाद भी नीतिनियामकों ने नकारात्मक सोच में कोई कारगर बदलाव नहीं किया। एक ओर सभी को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता प्राप्त है तो दूसरी ओर अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबन्धात्मक कानून भी हैं। प्रेस की आज़ादी के लिए अलग से प्रावधान करने की संवैधानिक आवश्यकता नहीं समझी गई। इस पुस्तक में प्रेस विधि एवं अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य को स्पष्ट करते हुए प्रेस की आज़ादी के नए क्षितिज तथा नयी चुनौतियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
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DR. HARBANS DIXIT

Books by DR. HARBANS DIXIT
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