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उग्र के पत्र
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हिन्दी के महान कथा शिल्पी पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' के ऐतिहासिक महत्त्व के ऐसे अन्तरंग पत्रों का सकलन इस पुस्तक में है, जो उनके आदर्श जीवन, दर्शन, साहित्य, राग सुख-दुख, तथा एकान्त के आख्याता हैं। ये पत्र उन्होंने अपने एकमात्र मित्र, सखा तथा सिद्ध कहानीकार पं० विनोदशंकर व्यास को लिखे थे। ये पत्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के अध्ययन, मनन और चिन्तन के लिए दस्तावेज़ हैं, तथा उच्चेश्रवा क़लमकार 'उग्र' को समझने के लिए दृष्टि देते हैं। व्यास जी द्वारा 'उग्र' को लिखे गए कुछ पत्र भी इसमें हैं। विद्वान सम्पादक ने इन पत्रों पर गवेषणात्मक टिप्पणियाँ भी दी हैं, जिससे इन पत्रों में आए व्यक्तियों तथा अन्य सम्बद्ध तथ्यों का पता चलता है। मतवाला मण्डल के सदस्यों का जीवन वत्त भी दिया गया है। कुछ इतिहास प्रसिद्ध बिसरे साहित्यकों का परिचय हिन्दी जगत को विस्तार से इस कृति में मिलेगा। 'उग्र' के पत्रों, उनके जीवन और साहित्य पर गम्भीर अध्ययन और शोधपूर्ण प्रस्तावना तथा आलेख भी इसमें प्रस्तुत किया गया है। इस दिशा में यह पुस्तक ऐतिहासिक, आधारभूत और महत्त्वपूर्ण है। इसका सम्पादन किया है हिन्दी के गौरवशाली विद्वान पं० सुधाकर पाण्डेय ने जो सम्पादन के लिए प्रतिमान हैं।
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Sudhakar Pandey

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