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आज़ादी के पहले आज़ादी के बाद
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गोधन ही भारत का धन है, गोधन पावन तन का मन है जन मन के वैभव का गौरव गोधन भारत का जीवन है; 1939 और शपथ ले, करे प्रतिज्ञा ले स्वतन्त्रता या मर जायें, रण में सोयें ओढ़ तिरंगा या उसको नभ तक फहरायें। 9 अगस्त 1942 कल का दशहरा भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखा जावेगा क्योंकि हिन्दुओं के त्योहार पर मुसलमानों ने इतना आदर भाव दिखाया है। आज का मिलन देखकर मेरे प्राण हिल गये हैं और दो एक बार आँसू पोंछना पड़े हैं ना जाने क्यों जी भर-भर आया है, आँखें छलक-छलक उठी हैं। 28 सितम्बर 1944 समझेंगे मुझको जनवादी वंशज रूसी देश-पिता का या सम्बन्धी साम्य चीन का पर इस मन में मान देश का मेरे स्वर में गान देश का
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INDRA BAHADUR KHARE

Books by INDRA BAHADUR KHARE
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